Computer Hardware and its components
(कंप्यूटर हार्डवेयर और उसके तत्व)
हार्डवेयर क्या हैं?
इन डिवाइस के अलावा जो भाग सीधे कम्प्यूटर से जोड़े जाएं उन्हें Peripheral devices कहते हैं, जैसे – टेप, टेप ड्राइव, प्रिन्टर, प्लाटर, जॉयस्टिक, माउस, लाइट पेन, ग्राफिक टेबलेट, कैसेट, कैसेट-प्लेयर, मोडेम, टर्मिनल आदि।
Hardware Components (हार्डवेयर के तत्व):-
रैम (रैंडम एक्सेस मेमोरी) :- इसे हम कम्प्यूटर का दिमाग कह सकते हैं। इसे मदरबोर्ड में बनी मेमोरी स्लॉट में लगाया जाता हैं। इस समय कई तरह की रैम प्रयोग होती हैं। लेकिन सबकी सामान्य रूपरेखा एक जैसी ही हैं।
पॉवर सप्लाई :- यह कम्पोनेंट कैबिनेट में जुड़ा होता हैं। इसके द्वारा समूचे कम्प्यूटर में विद्युत आपूर्ति होती हैं। इसकी क्षमता 200 वाट से लेकर 250 वाट तक हो सकती हैं।
फ्लॉपी डिस्क ड्राइव :- इसके जरिए आप फ्लॉपी में स्टोर डेटा कम्प्यूटर में इनपुट कर सकते हैं और कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क में स्टोर डेटा फ्लॉपी में कॉपी कर सकते हैं। प्रारंभ में 8 inch आकार की फ्लॉपी डिस्क ड्राइव का इस्तेमाल होता था।
इसके बाद यह आकार कम होकर 5.2 हो गया और इसके बाद 3.5 की फ्लॉपी डिस्क ड्राइव का इस्तेमाल होने लगा | इसकी डेटा स्टोर करने की क्षमता 1.4 मेगाबाइट से लेकर 2.88 मेगाबाइट तक हो सकती हैं।
तकनीक की वजह से इसका आकार कम होता जा रहा हैं और डेटा स्टोर करने की क्षमता बढ़ती जा रही हैं। इसे कम्प्यूटर के मदरबोर्ड में लगी आईडीई या स्कैजी पोर्ट से जोड़ते हैं।
सीडी ड्राइव :- सीडी ड्राइव का इस्तेमाल मल्टीमीडिया कम्प्यूटर की वजह से चलन में आया था। लेकिन आज इसका इस्तेमाल डेटा का बैकअप लेने के लिए मुख्य डिवाइस के रूप में किया जा रहा हैं। पहले इसे सीडी-रोम कहते हैं जिसका मतलब होता था रीड ओनली मेमोरी। इस तकनीक के तहत यह ड्राइव केवल सीडी में लिखें डेटा को पढ़ सकती थी। लेकिन आजकल यह तकनीक बदलकर आरडब्ल्यू हो गई हैं। जिसका अर्थ होता हैं रीड और राइट।
अब आप इसमें फ्लॉपी डिस्क की तरह से सीडी में डेटा स्टोर भी कर सकते हैं, और पहले से स्टोर भी कर सकते हैं, और पहले से स्टोर डेटा को पढ़ भी सकते हैं। इस समय 52X तक की सीडी ड्राइव को इस्तेमाल किया जाता हैं।
डीवीडी ड्राइव :- यह सीडी ड्राइव को एडवांस संस्करण हैं। इसका पूरा नाम होता हैं डिजिटल वर्शेटाइल डिस्क। इसका आकार सीडी जितना ही होता हैं लेकिन इसकी क्षमता कई सीडी के बराबर होती हैं। यह सीडी से कीमत में ज्यादा होती हैं। आजकल सीडी ड्राइव की जगह लोग इसे भी इस्तेमाल करते हैं। देखने में यह बिलकुल सीडी ड्राइव की तरह से होती हैं।
की-बोर्ड :- यह प्राइमरी इनपुट डिवाइस हैं। इसके द्वारा आप अंको और अक्षरों के रूप में कम्प्यूटर में डेटा इनपुट कर सकते हैं। इस समय 104 Keys वाले मल्टीमीडिया की-बोर्ड का प्रयोग किया जा रहा हैं। इसे कम्प्यूटर में लगे मदरबोर्ड से जोड़ते हैं।
माउस :- यह आजकल इस्तेमाल होने वाले कम्प्यूटरों की मुख्य प्वांइंटिंग डिवाइस हैं। इसके द्वारा ग्राफिक यूजर इंटरफेस वाले ऑपरेटिंग सिस्टम में निर्देश देने का काम किया जाता हैं। इसके अतिरिक्त डिजाइनिंग वाले प्रोग्रामों में आकृतियों का निर्माण भी किया जाता हैं।
इस समय दो तरह के माउस इस्तेमाल किए जा रहे हैं। माउस में नीचे की और एक छोटी सी बॉल लगी रहती हैं जो घूमती हैं जिससे प्वाइंटर स्क्रीन पर मूव होता हैं। जबकि दूसरे में ऑप्टिकल तकनीक का इस्तेमाल होता हैं। इसमें प्रकाश के रिप्लेक्शन से माउस प्वांइटर मूव होता हैं।
वीडियो कार्ड :- इस कार्ड के जरिए ही हम मॉनीटर को कम्प्यूटर से जोड़ते हैं। मॉनीटर पर हमें जो भी दिखाई देता हैं उसका कारण विडियो कार्ड हैं। इस समय AGP वीडियो कार्ड प्रयोग किए जा रहे हैं। कई मदरबोर्ड में यह पहले से ही इनबिल्ट होते हैं।
मॉनीटर :- यह कम्प्यूटर की मुख्य आउटपुट डिवाइस हैं। वर्तमान समय में Color VGA मॉनीटरों का प्रयोग हो रहा हैं। लेकिन LCD तकनीक के सस्ते होने की वजह से अब इनका चलन भी बढ़ रहा हैं। सामान्य मॉनीटरों में कांच से बनी CRT का प्रयोग होता हैं। जिसका पूरा नाम हैं कैथोड रे ट्यूब। जिसकी वजह से मॉनीटर का आकार, मोटाई बहुत ज्यादा होती हैं। जबकि LCD तकनीक में Liquid crystal display होता हैं जिसकी वजह से इसकी मोटाई एक इंच से भी कम होती हैं।
साउंड कार्ड :- इस कार्ड की वजह से आप स्पीकर और माइक को कम्प्यूटर के साथ इस्तेमाल कर पाते हैं। यह मल्टीमीडिया उपकरण हैं, बहुत से मदरबोर्ड में साउंड कार्ड का सर्किट इनबिल्ट होता हैं जबकि ज्यादातर यह एक कार्ड के रूप में होता हैं।
स्पीकर :- कम्प्यूटर में आवाज के रूप में आउटपुट स्पीकरों के द्वारा ही सुनाई देता हैं। इसे कम्प्यूटरों में लगे साउंड कार्ड से जोड़ा जाता हैं।
मॉडेम :- इंटरनेट से जोड़ने में इसकी भूमिका सबसे अहम हैं। आजकल दो तरह के मॉडेम इस्तेमाल होते हैं इनमे एक को इंटर्नल मॉडेम और दूसरे को एक्सटर्नल मॉडेम कहते हैं।
इंटर्नल मॉडेम कम्प्यूटर के अंदर होता हैं जबकि एक्सटर्नल मॉडेम को बाहर रखकर कम्प्यूटर के सीरियल या यूएसबी पोर्ट से जोड़ते हैं। केबल हो या टेलीफोन लाइन सबका कनेक्शन मॉडेम से ही दिया जाता हैं। यह सभी कंपोनेंट आपस में जुड़कर वर्तमान समय मे इस्तेमाल होने वाले पर्सनल कम्प्यूटर का निर्माण करते हैं।
0 Comments